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CM Yogi Adityanath

उत्‍तर प्रदेश बजट 2.0 में यू.पी. के किसानों को क्या मिला ?

उत्‍तर प्रदेश बजट 2.0 में यू.पी. के किसानों को क्या मिला ?

उत्‍तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने वर्ष 2022 का बजट पेश किया है। जिसमे यू. पी. के वयस्कों, महिलाओं, गरीब किसानों, बेरोजगारों आदि सभी को लगभग काफ़ी कुछ मिला है। तो आइए हम जानते है कि इस बजट के माध्यम से वहां के किसानों को क्या फ़ायदा मिला ?

उत्‍तर प्रदेश बजट 2.0 के माध्यम से किसानों को फ़ायदा :

- सिंचाई के लिए मुफ़्त बिजली, पी.एम. कुसुम योजना, सोलर पैनल्स, लघु सिंचाई परियोजना

बजट में किसानों को सिंचाई के लिए मुफ़्त बिजली का प्रावधान है। इसके लिए किसानों को पी.एम. कुसुम योजना के अंतर्गत किसानों को मुफ़्त सोलर पैनल्स उपलब्ध कराए जाएंगे। सिंचाई की अवशेष परियोजनाओं को आगे बढ़ाने के साथ एक हज़ार करोड़ रुपए की लागत से लघु सिंचाई परियोजनाओं को आगे बढ़ाने का विशेष प्रावधान भी इस बजट में है।

- भामाशाह भावस्थिरता कोश की स्थापना के लिए फंड

किसानों के लिए भामाशाह भावस्थिरता कोश की स्थापना के लिए फंड की व्यवस्था की गई है। मुख्यमंत्री जी ने पहले से ही धान, गेहूं, और अन्य फसलों के लिए एम.एस.पी. कला उपलब्ध कराई थी लेकिन आलू, टमाटर, प्याज, आदि फसलों में इस प्रकार की व्यवस्था नहीं थी जो कि इस बजट में कराई गई है।

- जैविक खेती

प्रदेश में अभी भी काफ़ी किसान जैविक खेती से जुड़े हुए हैं, जिनके लिए मुख्यमंत्री जी ने टेस्टिंग लैब के व्यवस्था की है। और अगले 5 वर्षों में संपूर्ण बुंदेलखंड खंड को जैविक खेती से जोड़ने का प्रावधान भी इस बजट में पेश किया गया है।

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- बीजों का वितरण

वर्ष 2021-2022 में 60.10 लाख क्विंटल बीजों का वितरण किया गया था और वर्ष 2022-2023 में इसकी मात्रा बढ़ाकर 60.20 लाख क्विंटल बीजों का वितरण किया जाएगा।

- नलकूप तथा लघु नहर

प्रदेश में 30,307 राजकीय नलकूपों तथा 252 लघु नहरों के माध्यम से मुफ़्त सिंचाई सुविधा की व्यवस्था की गई है।

- लघु सिंचाई परियोजना

मुख्यमंत्री लघु सिंचाई परियोजना के लिए एक हजार करोड़ रुपए की व्यवस्था की गई है।

- उर्वरक का वितरण

वर्ष 2021-2022 में कृषकों के लिए 98.80 लाख मीट्रिक टन उर्वरक का वितरण किया गया था तथा वर्ष 2022-2023 में 119.30 लाख मीट्रिक टन उर्वरक के वितरण का लक्ष्य रखा गया है।

- सोलर पंपों की स्थापना

कृषकों को सिंचाई के लिए डीजल विद्युत के स्थान पर ऊर्जा प्रबंधन के तहत ऊर्जा संरक्षण के लिए कृषकों के लिए सोलर पंपों की स्थापना की जाएगी।

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विपक्ष की ओर से बयान :

इस बजट पर विपक्ष की ओर से मायावती ने अपना बयान देते हुए कहा है कि, इस बजट से मुख्यमंत्री जी आम जनता की आंखों में धूल झोंक रहे हैं। उन्होनें आगे ट्वीट कर के कहा है कि "यूपी सरकार का बजट प्रथम दृष्टया वही घिसापिटा व अविश्वनीय तथा जनहित एवं जनकल्याण में भी खासकर प्रदेश में छाई हुई गरीबी, बेरोजगारी व गड्ढायुक्त बदहाल स्थिति के मामले में अंधे कुएं जैसा है, जिससे यहाँ के लोगों के दरिद्र जीवन से मुक्ति की संभावना लगातार क्षीण होती जा रही है।" उन्होंने आगे कहा है कि किसानों के लिए जो बड़े बड़े वादे किए गए थे, तथा जो बुनियादी कार्य प्राथमिकता के आधार पर करने थे वे कहां किए गए। 

वहीं कांग्रेस प्रवक्ता ने कहा कि बीजेपी ने इतने बजट पेश किए है जिसमे केवल नंबर बढ़ाए गए है, इससे किसानों को कोई फायदा नही मिला है। बेरोजगारी और गरीबी अपनी चरम सीमा पर है। बजट के बारे में जो कुछ भी मुख्यमंत्री जी ने कहा है, उससे आम जनता और किसानों को कोई फायदा नही है। साथ ही वे कहते हैं उनके इन कामों से जनता का कोई फायदा नहीं होगा। वहीं यूपी के मुख्यमंत्री योगी जी ने बजट प्रस्तुत करने के बाद अपने प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा है कि यह बजट 2022-2023 का है, जिससे यूपी की 25 करोड़ जनता का फायदा होगा और साथ ही यह बजट उत्तर प्रदेश के गरीब किसानों और नौजवानों की इच्छाओं को ध्यान में रख कर बनाया गया है। इसके अलावा उन्होनें कहा है कि यह बजट प्रदेश के उज्जवल भविष्य को ध्यान में रखते हुए बनाया गया है।

मुख्यमंत्री लघु सिंचाई योजना में लाभांवित होंगे हजारों किसान

मुख्यमंत्री लघु सिंचाई योजना में लाभांवित होंगे हजारों किसान

लखनऊ। किसानों को सिंचाई के लिए आत्मनिर्भर बनाने के लिए प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने मुख्यमंत्री लघु सिंचाई योजना नाम से एक नई योजना शुरूआत की है। 

इस योजना के तहत वर्ष 2022-23 में प्रदेश हजारों किसान लाभांवित होंगे। लघु सिंचाई विभाग ने इसका प्रस्ताव बनाकर शासन को भेज दिया है। अब विभाग को इसकी स्वीकृति का इंतजार है। 

इस योजना के लिए बजट में 216 करोड़ प्रस्तावित हुए हैं। लघु सिंचाई के निःशुल्क बोरिंग योजना, मध्यम नहर नलकूप योजना और गहरी योजना को मिलाकर यह नई योजना शुरू की गई है। 

प्रभारी सहायक अभियंता लघु सिंचाई विनय कुमार ने बताया कि इस योजना का मुख्य उद्देश्य कृषि उत्पादन में वृद्धि हेतु कृषकों के निजी सिंचाई साधनों का निर्माण कराकर उन्हें आत्मनिर्भर बनाना है। 

जिससे प्रदेश के हर खेत मे सुनिश्चित सिंचाई सुविधा उपलब्ध हो सके। तथा प्रदेश के कृषक आधिकारिक खाद्यान्न उत्पादन का प्रदेश व देश के आर्थिक विकास में योगदान कर सकें। 

उन्होंने इस योजना के तहत 300 बोरिंग कराने का प्रस्ताव शासन को भेजा है। जिसके तहत 60 बोरिंग अनुसूचित जाति व 220 बोरिंग सामान्य जाति के लोगों के लिए लगाए जाएंगे।

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सामान्य जाति के लघु एवं सीमान्त किसानों हेतु अनुदान

-इन योजना में सामान्य श्रेणी के लघु एवं सीमान्त कृषकों हेतु बोरिंग पर अनुदान की अधिकतम सीमा क्रमशः 5000 रु. तथा 7000 रु. निर्धारित की गई है सामान्य श्रेणी के लाभार्थियों के लिए जोत सीमा 0.2 हेक्टेयर निर्धारित है। 

सामान्य श्रेणी के कृषकों की बोरिंग पर पम्पसेट स्थापित कराना अनिवार्य नहीं है। परंतु पम्पसेट क्रय कर स्थापित करने पर लघु कृषकों की अधिकतम 4500 रु. व सीमान्त कृषकों हेतु 6000 रु. का अनुदान अनुमन्य है।

अनुसूचित जाति/जनजाति कृषकों हेतु अनुदान

- अनुसूचित जाति/जनजाति के लाभार्थियों हेतु बोरिंग पर अनुदान की अधिकतम सीमा 10000 रुपए निर्धारित है। न्यूनतम जोत सीमा का प्रतिवर्ष तथा पम्पसेट स्थापित करने की बाध्यता नहीं है। 

10000 रुपए की सीमा के अंतर्गत बोरिंग से धनराशि शेष रहने पर रिफ्लेक्स वाल्व, डिलीवरी पाइप, बैंड आदि सामिग्री उपलब्ध करने की अतिरिक्त सुविधा भी उपलब्ध है। पम्पसेट स्थापित करने पर अधिकतम 9000रुपए का अनुदान अनुमान्य है। 

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एच.डी.पी.ई. पाइप हेतु अनुदान

- वर्ष 2012-13 से जल के अपव्यय को रोकने एवं सिंचाई दक्षता में अभिवृद्धि के दृष्टिकोण से कुल लक्ष्य के 25 प्रतिशत लाभार्थियों को 90 एमएम साइज का न्यूनतम 30 मी. से अधिकतम 60 मी. एचडीपीई पाइप स्थापित करने हेतु लागत का 50 प्रतिशत अधिकतम 3000 रुपए का अनुदान अनुमन्य करने जाने का प्रावधान किया गया है। 22 मई 2016 से 110 एमएम साइज के एचडीपीई पाइप स्थापित करने हेतु भी अनुमान्यता प्रदान कर दी गई है।

पम्पसेट क्रय हेतु अनुदान

- निःशुल्क बोरिंग योजना के अंतर्गत नाबार्ड द्वारा विभिन्न अश्वशक्ति के पम्पसेट के लिए ऋण की सीमा निर्धारित है। जिसके अधीन बैंकों के माध्यम से पम्पसेट हेतु ऋण की सुविधा उपलब्ध है। 

जनपदवार रजिस्टर्ड पम्पसेट डीलरों से नगद पम्पसेट क्रय करने की भी व्यवस्था है। दोनों विकल्पों में से कोई भी प्रक्रिया अपनाकर आईएसआई मार्क (ISI Mark) पम्पसेट क्रय करने का अनुदान अनुमन्य है। 

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कैसे करें आवदेन

- सर्वप्रथम आपको लघु सिंचाई विभाग, उत्तर प्रदेश की आधिकारिक वेबसाइट पर जाना होगा।

यूपी निशुल्क बोरिंग योजना के अंतर्गत लक्ष्यों का निर्धारण

- लक्ष्य की प्राप्ति प्रत्येक वर्ष जनपद वार लक्ष्य शासन स्तर पर उपलब्ध कराए गए धनराशि के माध्यम से किया जाएगा। - ग्राम पंचायत के लक्ष्यों का निर्धारण क्षेत्र पंचायत द्वारा किया जाएगा।

- लक्ष्य से 25% से अधिक की संख्या में लाभार्थी ग्राम पंचायत द्वारा ग्राम जल संसाधन समिति की सहमति से उपरोक्त अनुसार चयनित किए जाएंगे। - चयनित लाभार्थियों की सूची विकास अधिकारी को प्रस्तुत की जाएगी।

लाभार्थियों का चयन

-सभी पात्र लाभार्थियों को चयन उनकी पात्रता के अनुसार किया जाएगा। इस योजना का लाभ उन किसानों को नहीं प्रदान किया जाएगा जो पूर्व में किसी सिंचाई योजना के अंतर्गत लाभवंती हुए हैं। 

इसके अलावा वर्ष 2000 -01 मैं विभाग द्वारा लघु सिंचाई कार्यों का सेंसस करवाया गया है। इस सेंसस के माध्यम से ऐसे कृषकों की सूची तैयार की गई है जिन की भूमि असिंचित है। 

इस सूची में आय कृषकओ पर खास ध्यान दिया जाएगा। ग्राम पंचायत द्वारा एक अंतिम बैठक का आयोजन किया जाएगा जिसमें लाभार्थियों की सूची तैयार की जाएगी। 

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यूपी निःशुल्क बोरिंग योजना की प्राथमिकताएं एवं प्रतिबंध

- बोरिंग के समय इस बात का ध्यान रखा जाएगा कि जहां बोरिंग की जा रही है वहां खेती है या नहीं। बोरिंग के स्थान पर खेती होना अनिवार्य है। अतिदोहित/क्रिटिकल विकास खंडों में कार्य नहीं किया जाएगा। 

बोरिंग के संबंध में इस बात का ध्यान रखा जाएगा कि प्रस्तावित पंपसेट से लगभग 3 हेक्टेयर कृषि योग्य भूमि की सिंचाई हो सके। 

वह विकास खंड जो सेमी क्रिटिकल कैटेगरी में है उनमें नाबार्ड द्वारा स्वीकृत सीमा के अंतर्गत ही चयन किया जाएगा। पंपसेट के मध्य दूरी नाबार्ड द्वारा जनपद विशेष के लिए निर्धारित दूरी से कम नहीं होनी चाहिए। 

समग्र ग्राम विकास योजना एवं नक्सल प्रभावित समग्र ग्राम विकास योजना के अंतर्गत चयनित किए गए ग्रामों में सर्वोच्च प्राथमिकता के आधार पर बोरिंग का कार्य किया जाएगा। 

उपलब्ध धनराशि से समग्र ग्राम विकास योजना एवं नक्सल प्रभावित समग्र ग्राम विकास योजना के ग्रामों को सर्वप्रथम पूर्ति की जाएगी।

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यूपी निशुल्क बोरिंग योजना के अंतर्गत सामग्री की व्यवस्था

इस योजना के अंतर्गत पीवीसी पाइप का प्रयोग किया जाएगा। एमएस पाइप का उपयोग केवल उन क्षेत्रों में किया जाएगा जहां हाइड्रोजियोलॉजिकल परिस्थितियों के कारण पीवीसी पाइप का प्रयोग नहीं किया जा सकता। 

एसएम पाइप का प्रयोग ऐसे जिलों में चिन्हित क्षेत्रों के संबंधित अधीक्षण अभियंता लघु सिंचाई वृत से अनुमोदन प्राप्त करके किया जाएगा। 

पीवीसी पाइप से होने वाली बोरिंग के लिए पीवीसी पाइप एवं अन्य सामग्री की व्यवस्था कृषकों द्वारा की जाएगी। जिलाधिकारी के अंतर्गत एक समिति का गठन किया जाएगा जिसके माध्यम से अनुदान स्वीकृति करने हेतु पीवीसी पाइप तथा अन्य सामग्री की दरें निर्धारित की जाएगी। 

 ----- लोकेन्द्र नरवार

कृषि में लागत कम करें, मुनाफा खुद बढ़ेगा

कृषि में लागत कम करें, मुनाफा खुद बढ़ेगा

यूपी के किसान इन दिनों एक नए तरीका से काम कर रहे हैं। यह तरीका है नवीनतम तकनीकी का प्रयोग और प्राकृतिक खेती की तरफ झुकाव। अब जीरो बजट की खेती के तौर पर सरकार किसानों को हर संभव मदद कर रही है। किसानों को यह बात समझ में आ गई है, कि जब तक लागत कम नहीं होगा, उनका मुनाफा बढ़ने से रहा। उत्तर प्रदेश लगातार नए प्रयोग कर रहा है, यह प्रयोग खेती के क्षेत्र में भी दिख रहा है। यह किसानों के लिए लाभ का सौदा बनता जा रहा है। परंपरागत किसानी को कई किसानों ने बहुत पीछे छोड़ दिया है। अब वे खेती के नए प्रयोगों से गुजर रहे हैं, वे जीरो बजट खेती की तरफ तेजी से बढ़ रहे हैं। इसमें यूपी की योगी सरकार उनकी मदद कर रही है। इन मामलों को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ खुद ही देख रहे हैं।


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मक्का, गेहूं, धान से फूल-सब्जी तक

एक दौर था, जब यूपी का किसान मक्का, गेहूं, धान की खेती पर ही पूरी तरह निर्भर था। अचरज की बात है, कि अब इन किसानों ने इन फसलों के साथ ही सब्जियों की भी खेती शुरू कर दी है। आचार्य देवव्रत के जीरो बजट खेती का फार्मूला इन किसानों को अब समझ में आ गया है। यही कारण है, कि अब किसान अपने घर के आगे-पीछे भी फूल-फल की खेती करने से हिचक नहीं रहे हैं।

जोर प्राकृतिक खेती पर

बीते दिनों यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि खेती में अत्याधुनिक तकनीकी का प्रयोग व प्राकृतिक खेती आज की जरूरत है। पुराने ढर्रे पर काम करने से कुछ खास हासिल होने वाला नहीं। अगर कुछ बढ़िया करना है, तो नई तकनीकी को आजमाना पड़ेगा, पूरी दुनिया में खेती के क्षेत्र में नए प्रयोग हो रहे हैं। अगर यूपी इनमें पिछड़ा तो पिछड़ता ही चला जाएगा।

गो आधारित खेती

योगी ने सुझाव दिया कि क्यों न गौ आधारित प्राकृतिक खेती को बढ़ावा दिया जाए यह जीरो बजट खेती है। इसके अच्छे परिणाम भी सामने आ रहे हैं। उनका मानना था, कि प्राकृतिक खेती में तकनीकी से उत्पादकता बढ़ाने में मदद मिलेगी। हां, इसके लिए थोड़ी जागरूकता व सावधानी बरतने की जरूरत है। अगर हम ऐसा कर लेते हैं, तो प्राकृतिक खेती के जरिये कम लागत में अधिक उत्पादकता प्राप्त कर किसान भाई अपनी आमदनी अच्छी-खासी बढ़ा सकते हैं। परंपरागत खेती को परंपरागत तरीके से करने में कोई लाभ नहीं है, अगर परंपरागत खेती को नई तकनीकी के इस्तेमाल के साथ किया जाए तो नतीजे शानदार आएंगे। योगी का कहना था, कि आधुनिक तरीके से खेती करने के साथ किसानों को बाजार की मांग और कृषि जलवायु क्षेत्र की अनुकूलता के आधार पर बागवानी, सब्जी व सह फसली खेती की ओर भी अग्रसर होना होगा। इससे उनकी अधिक से अधिक आमदनी हो सकेगी।

खेती कमाई का बड़ा साधन

आपको बता दें कि यूपी, आबादी के लिहाज से देश का सबसे बड़ा राज्य तो है ही, खेती-किसानी ही यहां की अर्थव्यवस्था का सबसे बड़ा जरिया भी है। यह बात भी महत्वपूर्ण है कि देश की सबसे अच्छी उर्वर भूमि और सबसे अच्छा जल संसाधन उत्तर प्रदेश में ही है। यहां की भूमि की उर्वरकता व जल संसाधन की ही देन है, कि देश की कुल कृषि योग्य भूमि का 12 प्रतिशत हिस्सा होने के बावजूद देश के खाद्यान्न उत्पादन में अकेले उत्तर प्रदेश का योगदान 20 प्रतिशत का है।


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तीन गुना तक बढ़ सकता है प्रदेश का कृषि उत्पादन

यूपी के मुख्यमंत्री मानते हैं, कि प्रदेश का कृषि उत्पादन अभी और तीन गुणा बढ़ सकता है। इसके लिए हमें बेहतर किस्म के बीज की जरूरत तो पड़ेगी ही इसके साथ ही आधुनिक कृषि उपकरणों की भी जरूरत पड़ेगी। हमारी कोशिश यह होनी चाहिए कि खेती की लागत कम हो और मुनाफा बढ़े। यूपी सरकार इसके लिए व्यापक अभियान चला भी रही है।
उत्तर प्रदेश के बुनकरों के लिए राज्य सरकार लेकर आई है यह बड़ी खुशखबरी

उत्तर प्रदेश के बुनकरों के लिए राज्य सरकार लेकर आई है यह बड़ी खुशखबरी

उत्तर प्रदेश सरकार की तरफ से यहां के अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के बुनकरों के लिए खुशखबरी है। अब जल्द ही उनके जीवन स्तर में सुधार होने वाला है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने बुनकरों से जुड़ी कुछ योजनाओं को मंजूरी दी है। अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति वर्ग के अंतर्गत आने वाले हथकरघा और पावर लूम बुनकरों की आर्थिक और सामाजिक स्थिति को बढ़ाने के लिए उत्तर प्रदेश सरकार सब्सिडी और तकनीकी प्रशिक्षण प्रदान करेगी। रिपोर्ट्स के मुताबिक सरकार बुनकरों को आधुनिक हथकरघा लगाने में मदद करेगी। ताकि वे समय के साथ चल सकें और राज्य के विकास में योगदान कर सकें।

आधुनिक विद्युत करघे की स्थापना की जाएगी

प्रवक्ता के अनुसार, राज्य सरकार बुनकरों को बैंक से कर्ज दिलाने में भी मदद करेगी। मुख्यमंत्री ने बैठक के दौरान अधिकारियों को झलकारी बाई कोरी हथकरघा एवं पावर लूम विकास योजना के तहत बुनकरों को अनुदान मिलना सुनिश्चित करने के निर्देश दिये। कार्यक्रम के तहत, राज्य सरकार सब्सिडी की लागत का 80% प्रदान करेगी, शेष 60% आधुनिक विद्युत करघे की स्थापना की ओर जाएगी।
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हर नए पावर लूम की खरीद पर 60% सब्सिडी प्रदान की जाएगी

जिला मजिस्ट्रेट या तहसीलदार को हर एक बुनकर लाभार्थी को अनुसूचित जाति प्रमाण पत्र जारी करना होगा। इसका लाभ उठाने के लिए लाभार्थियों की आयु कम से कम 18 वर्ष होनी चाहिए। इसके लिए उनका अनुभवी बुनकर होना या प्रशिक्षण प्राप्त किया होना अनिवार्य है। आधुनिक हथकरघा इकाई के निर्माण के लिए उन्होंने उन्हें जमीन का मालिकाना हक देने की सलाह दी। राज्य सरकार द्वारा इस योजना को तीन भागों में बांटा गया है।
  • आधुनिक पावर लूम प्रौद्योगिकी के लिए एक प्रशिक्षण कार्यक्रम
  • उन्नत हथकरघा या पावर लूम का निर्माण
  • हथकरघा या पावर लूम कार्यशालाओं का विकास
बैठक में लिए गए निर्णय के अनुसार, राज्य सरकार हर एक नए पावर लूम की खरीद पर 60% तक सब्सिडी प्रदान करेगी।
यूपी के जिलों को मशीनरी बैंक की सौगात, सीएम योगी ने 77 ट्रैक्टरों को दिखाई हरी झंडी

यूपी के जिलों को मशीनरी बैंक की सौगात, सीएम योगी ने 77 ट्रैक्टरों को दिखाई हरी झंडी

उत्तर प्रदेश की योगी सरकार ने एक किसानों के लिए एक अनोखी पहल की है. जिसके तहत उन्होंने राज्य के जिलों को फार्म मशीनरी बैंकों की सौगात दी है. जिसके लिए सीरम योगी आदित्यनाथ ने 77 ट्रैक्टरों को हरी झंडी दिखाकर रवाना कर दिया. आपको बता दें इसके जरिये किसानों को सबसे ज्यादा फायदा होगा. क्योंकि उन्हें खेती के लिए लगने वाले कृषि किराय पर मिल जाएंगे.

कार्यक्रम में क्या बोले सीएम योगी आदित्यनाथ

सीएम ने फार्म मशीनरी बैंकों के लिए अपने आवास से ही 77 ट्रैक्टरों को हरी झंडी दिखाकर रवाना किया. इस पूरे कार्यक्रम में सीएम ने कहा कि,
गन्ना और चीनी का अद्योग लगातार ऊंचाइयों को छू रहा है. इसी का परिणाम है कि, सबसे ज्यादा ईंधन एथेनाल के जरिये काम देना काम शुगर इंडस्ट्री और किसानों द्वारा किया जा रहा है. अब हमारा पैसा ना तो पेट्रोडॉलर के नाम पर बाहर जाएगा और ना ही आतंकवाद के नाम पर खर्चा किया जाएगा. इसे मिलने वाले पैसे को डीजल और पेट्रोल पर खर्च किया जाएगा.

प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना की जमकर की तारीफ

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना की जमकर तारीफ भी की. उन्होंने कहा की इस योजना से ही किसान लगभग 10 टन अतिरिक्त प्रति हेक्टेयर के हिसाब से गन्ना ले रहे हैं. वहीं 8 लाख से ज्यादा अतिरिक्त गन्ने का रकबा बढ़ा है. कोरोना काल में भी सरकार की तरफ से मिलें चलवाई गयी हैं. जिसे किसानों को लगातार पैसा मिलता रहा. वहीं सैनिटाइजर 27 राज्यों तक पहुंचाया गया. इसके अलावा गेहूं के समर्थन मूल्य को भी बढ़ाया गया है. जिसके बाद अब आलू के बारे में भी सरकार व्यवस्था बना रही है. इससे किसानों को इधर उधर नहीं भागना पड़ेगा.

किसानों को दी 51 घार करोड़ की सम्मान निधि

सीएम योगी ने कहा कि , फ्लेके समय में किसान साहूकारों के चुंगल में फंसे हुए थे. लेकिन बदलते समय में किसानों के हालातों में सुधार हुआ है. 2 करोड़ 60 लाख किसानों को साढ़े तीन सालों के अंदर अंदर 51 हजार करोड़ की सम्मान निधि सरकार ने दी. वहीं 22 लाख हेक्टेयर की जमीन को सिंचाई के लिए उपलब्ध करवाया. साल 2017 की बात करें तो पहले खेती घाटे का सौदा हुआ करती थी, लेकिन अब या रिकॉर्ड है कि, इस सरकार के 6 साल बात दो लाख करोड़ से ज्यादा की राशि किसानों के गन्ना मूल्य के जरिये उनके बैंक अकाउंट में सीधा ट्रांसफर की जा रही है. पाकिस्तान से तुलना करते हुए सीमे योगी ने कहा कि, जहां वह देश अपना कर्जा नहीं चुका पा रहा है, वहीं हम डीबीटी के जरिये किसानों को पैसा दे रहे हैं.

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किसानों के हित में सरकार एक से एक योजनाओं पर काम कर हरी है. वहीं किसानों की परेशानी को देखते हुए सरकार किसानों को ऐसे यंत्र दे रही है, जिससे उन्हें पराली को आग लगाने की जरूरत नहीं पड़ेगी. मशीन खुद ब खुद फसल को काट देगी और ढांचे की तरह उसे मिट्टी में मिला भी देगी. जिसका इस्तेमाल किसान कर रहे हैं.
Nand Baba Mission: योगी सरकार देसी गाय पालने के लिए 40 हजार रुपये की आर्थिक सहायता देगी

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योगी सरकार की तरफ से दुग्ध उत्पादन की बढ़ाने के लिए एक कवायद शुरू की गई है। यदि कोई किसान पंजाब से साहिवाल, राजस्थान से थारपारकर गाय, गुजरात से गिर गाय खरीदना चाहे तो सरकार की तरफ से उसको सहायता प्रदान की जाएगी। उत्तर प्रदेश की योगी सरकार किसानों एवं पशुपालकों के लिए अच्छी खबर लेकर आई है। जानकरी के लिए बतादें, कि योगी सरकार ने एक ऐसी योजना शुरू की है, जिसके अंतर्गत देसी गायों को पालने वाले पशुपालकों को तकरीबन 40000 रुपये का लाभ हो सकता है। हालांकि, गाय पाल कर उसका दूध बेच कर किसान ऐसे ही अच्छी आमदनी कर सकते हैं। परंतु, वर्तमान में योगी सरकार ने जो निर्णय लिया है, उसको देख कर कहा जा सकता है कि इससे किसानों को काफी सहायता मिलने वाली है। यह भी पढ़ें: देसी और जर्सी गाय में अंतर (Difference between desi cow and jersey cow in Hindi)

नंद बाबा मिशन योजना

बतादें, कि उत्तर प्रदेश की योगी सरकार द्वारा प्रदेश में पशुपालकों का सहयोग करने के लिए एवं डेयरी उद्योग को प्रोत्साहन देने के लिए नंद बाबा मिशन की शुरुआत की है। इस नन्द बाबा दुग्ध मिशन के अंतर्गत जो भी पशुपालक कोई देसी गाय खरीदता है, तो उसको गौ संवर्धन योजना के अंतर्गत 40 हजार रुपये की सहायता धनराशि दी जाएगी। आप इसको ऐसे भी समझ सकते हैं, कि यदि कोई किसान गुजरात से गिर गाय, पंजाब से साहिवाल, राजस्थान से थारपारकर गाय खरीदना चाहता है, तो सरकार की तरफ से उसको इन गायों पर 40 हजार का अनुदान प्रदान किया जाएगा। वास्तव में इन तीनों प्रजातियों की गायें काफी महंगी होती हैं, इस वजह से सरकार ने निर्णय लिया है, कि इनकी खरीद पर किसानों को 40 हजार की सहायता प्रदान की जाएगी। यह भी पढ़ें: इन नस्लों की गायों का पालन करके किसान अच्छा मुनाफा कमा सकते हैं

मुख्यमंत्री प्रगतिशील पशुपालक प्रोत्साहन योजना

दरअसल, उत्तर प्रदेश में फिलहाल मुख्यमंत्री प्रगतिशील पशुपालक प्रोत्साहन योजना पहले से चल रही है। इस योजना के अंतर्गत किसानों और पशुपालकों को 2 गाय रखने पर सरकार की तरफ से 10 से 20 हजार रुपये की प्रोत्साहन धनराशि दी जाती है। यदि आप गाय पालते हैं अथवा गाय पालने के इच्छुक हैं तो इन दोनों योजनाओं का फायदा उठा सकते हैं। इसके लिए आपको अपने आसपास के पशुपालन विभाग में जाकर अधिकारियों से संपर्क करना पड़ेगा। इसके साथ ही इस योजना की जानकारी आप ऑनलाइन भी प्राप्त कर सकते हैं।
योगी सरकार द्वारा विगत माह आयोजित कराए गए श्री अन्न महोत्सव का उद्देश्य क्या था

योगी सरकार द्वारा विगत माह आयोजित कराए गए श्री अन्न महोत्सव का उद्देश्य क्या था

उत्तर प्रदेश सरकार ने 27 से 29 अक्टूबर, 2023 तक श्री अन्न महोत्सव का आयोजन किया था। यह तीन दिवसीय कार्यक्रम प्रदेश के जुपिटर हॉल, इंदिरा गांधी प्रतिष्ठान में आयोजित किया गया था। इसमें उन किसानों को सम्मानित किया गया, जिन्होंने मिलेट्स पैदावार में महत्वपूर्ण योगदान अदा किया था। मिलेट्स एवं उनकी खेती के फायदों के संबंध में जागरूकता बढ़ाने के लिए उत्तर प्रदेश सरकार ने श्री अन्न महोत्सव का आयोजन किया था। इस कार्यक्रम का प्रमुख लक्ष्य मिलेट्स के इस्तेमाल को प्रोत्साहन देना एवं प्रगतिशील किसानों की कोशिशों को पहचानना था, जिन्होंने मिलेट्स उत्पादन में अहम योगदान अदा किया है। साथ ही, कृषि कुंभ से ठीक पूर्व होने वाले इस कार्यक्रम का उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ द्वारा उद्घाटन किया गया था। श्री अन्न महोत्सव एक राज्य स्तरीय कार्यक्रम था। विभिन्न डिवीजन के किसान अपने अनुभव एवं ज्ञान साझा करने के लिए एक साथ आए। उद्घाटन के दिन छह डिवीजन के किसान मिलेट्स की खेती एवं खपत पर चर्चा करने के लिए एकत्रित हुए। दूसरे दिन पांच डिवीजन के किसान भाग लेंगे। साथ ही, आखिरी दिन सात डिवीजन के किसान इस कार्यक्रम में शम्मिलित हुए। कुल मिलाकर, प्रत्येक डिवीजन से पचास प्रगतिशील किसान इस कवायद का भाग रहे।

श्री अन्न महोत्सव का मुख्य मकसद क्या है

श्री अन्न महोत्सव का प्रमुख उद्देश्य राज्य के अंदर मिलेट्स की खेती एवं खपत के विषय में आम जनता तथा किसान दोनों के मध्य जागरूकता उत्पन्न करना है। गौरतलब है, कि मिलेट्स अपने अनेकों स्वास्थ्य संबंधित लाभों एवं टिकाऊ कृषि में अपनी भूमिका के लिए विश्व भर में अपना अलग स्थान बना रहा है। मिलेट्स को अधिक प्रोत्साहन देने के लिए कार्यक्रम के दौरान कई सारे मिलेट्स-आधारित खाद्य उत्पादों के तकरीबन 40 स्टॉल स्थापित किए गए। इससे मौजूद लोगों को मिलेट्स से निर्मित कई तरह के व्यंजनों का स्वाद चखने और उनकी सराहना करने का अवसर मिला।

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श्री अन्न का सबसे बड़ा उत्पादक देश है भारत, सरकार द्वारा उत्पादन बढ़ाने के लिए किए जा रहे हैं कई प्रयास


किसानों को सम्मानित भी किया जायेगा

मिलेट्स को लेकर जागरूकता को बढ़ावा देने के अतिरिक्त राज्य सरकार ने उन किसानों को सम्मानित करने की योजना की भी घोषणा की थी, जिन्होंने मिलेट्स उत्पादन में महत्वपूर्ण योगदान अदा किया। इसका उद्देश्य ज्यादा से ज्यादा किसानों को मिलेट्स की खेती के प्रति जागरूक करने और राज्य भर में इसको अपनाने के लिए प्रोत्साहित करना है।


 

टिकाऊ कृषि को बढ़ावा दिया जाएगा

श्री अन्न महोत्सव महज मिलेट्स का उत्सव ही नहीं यह उत्तर प्रदेश के कृषि परिदृश्य का एक प्रमुख भाग बनाने की दिशा में एक कवायद है। इस मुहीम में किसानों को शम्मिलित करके सरकार को मिलेट्स क्रांति की शुरुआत करने की संभावना है। यह टिकाऊ कृषि को प्रोत्साहन देने के साथ-साथ इसके सेवन से नागरिकों के स्वास्थ्य एवं पोषण में भी शानदार बेहतरी लाऐगी।